Allah Kaun Hai

अल्लाह ( ईश्वर ) कौन है? अल्लाह की पहचान

अल्लाह को पह्चानने के कुछ  तरीक़े 

ऐसे कई तरीके हैं जिसके माध्यम से मनुष्य अपने आसपास की वस्तुओं और प्राकृतिक और अप्राकृतिक घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। और इसे पहचानने का तरीका भी वस्तुओं के लिहाज़ से अलग अलग हुआ करता है।

उदाहरण के लिए जब आप किसी व्यक्ति को पहचानना चाहते हैं तो आप उसके क़रीब होते हैं और उनसे दोस्ती करते हैं और उनको सम्मान देते हैं और उनकी इज़्ज़त करते हैं बल्कि अलग अलग भाषाओं के लोग सर्वनाम का इस्तेमाल करते हैं जो अनजान को बताने का काम देते हैं और जिसे “सम्मान या इज़्ज़त का शब्द” कहा जाता है। कभी कभी अपना परिचय आप ख़ुद दूसरों को देते हैं और कभी कभी आपका दोस्त आपकी ओर से आपका परिचय दूसरों को देता है और कहता है कि आप फुलांन हैं। कई लोगों को हम समाचारपत्रों के पन्नों और टीवी स्क्रीन द्वारा पहचान प्राप्त करते हैं। कई लोगों के बारे में हम कहानियों और क़िस्सों के द्वारा जानकारी प्राप्त करते हैं जो कहानियाँ लेखकों द्वारा बुनाई जाती हैं और यह कहानियाँ कभी सच के नज़दीक होती हैं और कभी दूर रहती हैं।

 

किसी भी चीज़ और किसी भी व्यक्ति को जानने और पहचानने के लिए कई तरीके होते हैं और सबसे अच्छा रास्ता यह है कि किसी को पहचानने के लिए उन्हीं की बात सुन ली जाए। और शायद अल्लाह को पहचानने के विषय में हम इसी तरीक़ा को लागू रें।
अब प्रश्न यह है कि अल्लाह कौन है?

इस सवाल का जवाब अल्लाह सर्वशक्तिमान ख़ुद दे रहा है, उसका फ़रमान है:

{للَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ لَا تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلَا نَوْمٌ لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ مَنْ ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِنْدَهُ إِلَّا بِإِذْنِهِ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِنْ عِلْمِهِ إِلَّا بِمَا شَاءَ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَلَا يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ } [البقرة: 255]

अर्थ:  “अल्लाह कि जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, वह जीवन्त-सत्ता है, सबको सँभालने और क़ायम रखनेवाला है। उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा। उसी का हैजो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कौन है जो उसके यहाँ उसकी अनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछउनके पीछे है। और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा। उसकी कुर्सी (प्रभुता) आकाशों और धरती को व्याप्तहै और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं और वह उच्च, महान है।”

यहाँ अल्लाह सर्वशक्तिमान ख़ुद अपने बारे में परिचय दे रहा है कि वही अकेला पूज्य है उसके सिवा कोई पूजनीय नहीं है,सभी रचनाओं के लिए वही एक पूजा किए जाने के योग्य है और वही जीवन्त-सत्ता है, सबको सँभालने और क़ायम रखनेवाला है। अर्थातः वह अपने आप जीवित है और अमर है जिसे कभी मृत्यु नहीं आ सकती, सारी वस्तुओं को संभालनेवाला है, सारा संसार उसका ज़रूरतमंद है उस से कोई आज़ाद नहीं हो सकते और न उसके आदेश के बिना किसी को कोई शक्ति है।

अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि: “उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा” अर्थातः उसमें कोई कमी नहीं आ सकती है और न वह अपनी रचना से एक पल के लिए भी ग़ाफिल या बेख़बर है, बल्कि वह प्रत्येक आत्मा को संभाल रहा है , उसके कार्य को देख रहा है, कोई रहस्य उसपर छिपा हुआ नहीं है, कोई चीज़ उस से ओझल नहीं हो सकती है, उसकी निपुणता में यह भी शामिल है कि उसे न कभी नींद आ सकती और न ऊँघ, नींद तो बड़ी बात है बल्कि उसे तो एक पल के लिए ऊँघ भी नहीं आ सकती है।

अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान: “उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है।” इसमें अल्लाह सर्वशक्तिमान हमें यह बता रहा है कि सब के सब उसके क़ब्ज़े में हैं और सब उसके अधीन हैं और उसके क़ाबू में हैं।

अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान: “कौन है जो उसके यहाँ उसकी अनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके?” इससे अल्लाह सर्वशक्तिमान की महानता और उसकी बड़ाई और उसका महिमा झलक रहा है क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान के पास किसी की हिम्मत नहीं कि उसकी अनुमति के बिना कोई सिफ़ारिश कर सके।

और अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि: “जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है।”  इस से यह स्प्ष्ट हो रहा है कि उसका ज्ञान सभी वस्तुओं को घेरा है और वह सबके अतीत, वर्तमान और भविष्य को अच्छी तरह जानता है।

अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि: “और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा।” इस का अर्थ यह है कि अल्लाह सर्वशक्तिमान के ज्ञान में से किसी बात का किसी को कोई पता नहीं है लेकिन केवल उतना ही जितना कि वह ख़ुद बता देता है।

और अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि: “उसकी कुर्सी (प्रभुता) आकाशों और धरती को व्याप्तहै”। अर्थातः उसकी हुकूमत और उसकी तख़्त शाही सबको घेरे हुए है।

और अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान: “और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं”। अर्थातः आकाशों और धरती और जो उन दोनों के बीच में है उन सब की सुरक्षा उसपर भारी या बोझ नहीं है, यह तो उसके लिए बिल्कुल आसान है , वह तो हर चीज़ को संभालनेवाला है, और सारी वस्तुओं का निगहबान है, उससे कोई चीज़ न छिप सकती है और न अलोप होती है, सारी चीज़ें उसके सामने नीच मामूली और छोटी हैं, और सबको उसकी ओर ज़रूरत है और उसे किसी की ज़रूरत नहीं है और वह सराहनीय है और जो चाहता है कर गुज़रता है, वह किसी के सामने जवाबदेह नहीं है और सबके सब उसके सामने जवाबदेह हैं, सब चीज़ पर उसकी हुकूमत है और सबका हिसाब रखनेवाला है और सब चीज़ का निगहबान है, वह बहुत बड़ाईवाला और महान है, उसके सिवा कोई पालनहार नहीं।

 

और अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फ़रमान कि: “वह उच्च, महान है l” अर्थातः वह सब से ऊपर है और सबसे बड़ा है।

 

मेरे प्रिय पाठक यदि आप अल्लाह सर्वशक्तिमान के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यही उसका बुनियादी पहचानपत्र है जो मैंने आपके सामने रखा।

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