लेखक: मुहम्मद हाशिम क़ासमी बस्तवी
सोशल मीडिया का लाभ
सोशल मीडिया का नेटवर्क अब पूरे संसार में फैल चुका है, इस से जुड़ने वाले लोगों संख्या दस अरब से ज़यादा है यह एक ऐसा विशाल प्लेटफार्म है जिस के माद्ध्यम से हम अपनी बात, अपनी मांग और अपनी परेशानी को कुछ सिक्नंड्स में आसानी के साथ पूरे संसार के साथ शेयर कर सकते हैं, ऐसी बहुत सी ख़बरें जिन को न्यूज़ चैनल दबाना चाहते हैं, सिस्टम की तरफ से दबाव के कारण उस को कवर नहीं करते हैं ऐसी ख़बरें हम को सोशल मीडिया पर विडीयो और आडीयो या टेक्स्ट की शकल में मिल जाती हैं, और उन के वायरल होने के बाद न्यूज़ चैनल की बदनीयती और पूरे सिस्टम की पोल खुल जाती, और सिस्टम उन पर कार्रवाई कराने पर मजबूर हो जाता है, इस हिसाब से सोशल मीडिया बहुत ही लाभ दायेक प्लेटफार्म है, ज़रूरत पड़ने पर हम सब को उस से लाभ उठाना चाहिए।
ऐसे छोटे छोटे बिज़नेस और कारोबार जिन की मार्किट लेवल पर कोई वाई वैलु नहीं है, लोग उस के बारे में न जानते हों, आप सोशल मीडिया पर उसके बारे में ऐड दे कर लोगों का ध्यान उस की ओर आकर्शित कर सकते हैं, और अपने प्रोडेक्ट का लेन देन कर सकते हैं, अपनी दूकान या बिज़नेस का सोशल मीडिया पर पेज बना कर, अपने प्रोडेक्ट की नुमाइश कर सकते हैं इस से आप के कारोबार में बढ़ोतरी की अधिक संभावना हो जाती है।
वेबसाईटों और ब्लाग्स पर ट्राफिक का ज़्यादा होना हर बलागर का सपना होता है कि लोग उस के ब्लाग या वेबसाईट को ज़्यादा से ज़्यादा विज़िट करें तो आप अपनी वेबसाइट पर लेख लिख कर उस के लिंक को सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं, यह लिंक्स आप की वेबसाइट की ट्राफिक बढ़ाने में बहुत सहायता करते हैं, और इसी के साथ साथ आप की वेबसाइट की डोमैन अथार्टी और पेज अथार्टी धीरे धीरे इम्प्रू होती है जो हर वेबसाइट के लिए बहुत ही अनिवार्य है, क्यूंकि वेबसाइट की ट्राफिक बढ़ाने में डोमैन अथार्टी और पेज अथार्टी का बहुत पड़ा रोल होता है।
यह सारा लाभ हमें तभी मिल सकता है जब हम अपनी बात, अपनी शिकायतों, अपने कारोबारी प्रोडेक्ट ईमानदारी के साथ लोगों को सही जानकारी दें, फेक और गलत चीज़ों से अपने आप को और अपने पेज को दागदार न बनायें, वरना हमें फायदा के बजाए कुक्सान पहोंच सकता है।
फेक न्यूज़ से हमारा और सोशल मीडिया का नुकसान
ऐसी अहम और ज़रूरी ख़बरें जिन को बड़े बड़े अख़बारों के किसी भी पन्ने पर जगह नहीं मिलती, टी वी चैनल्ज़ पर जिस के बारे में डीबेट नहीं होती उन को सोशल मीडिया पर आना ही चाहिए, और बहुत सारी आ भी जाती हैं, लेकिन इन सही ख़बरों के बीच में आज कल फेक न्यूज़ की भी भरमार हो जाती है, टी आर पी और सस्ती प्रसिद्धता, और गिन्ती के कुछ सिक्कों के चक्कर में बहुत सारे यूज़र्स अपनी मान मर्यादा को लांघ जाते हैं, और फेक न्यूज़ को फैलाते हैं, जिस का नुकसान यह होता है कि आम यूज़र्स को हकीक़त का पता नहीं चल पाता है, वह फेक न्यूज़ को भी सही मान लेते हैं, जिस के कारण बहुत सारी सही ख़बरें दब जाती हैं, और फेक न्यूज़ वायरल हो जाती है।
आज कल फेक न्यूज़ और झूटी ख़बरों का मीडिया पर ऐसा बाज़ार गर्म है कि अगर कोई खबर सही भी हो तब भी उस को सही मानने के लिए हम तैयार नहीं होते, और सोशल मीडिया का असल मक़सद और उस की ताक़त दम तोड़ती नज़र आती है, इस में हमारे नुकसान के साथ साथ सोशल मीडिया का भी नुकसान है कि जिस मक़सद के के लिए बनाया गया है वह हासिल नहीं हो रहा है, बल्कि उस का मिस यूज़ हो रहा है, अतः हमारी सोशल मीडिया के संस्थापकों और उस के एडमिनस से निवेदन है कि वह वह फेक अकाउंटस और फेक न्यूज़ पर अंकुश लगाने का पूरा प्रयास करें।
सोशल मीडिया और हमारा पक्ष
आम तौर पर यही देखा जाता है कि सोशल मीडिया को यूज़ करने वाले हर व्यक्ति का अपना एक धार्मिक, पोलोटीकल या स्प्रोर्ट का कोई न कोई पक्ष होता है, हर आदमी अपने पक्ष की खबर को आँख बंद करके सही मान लेता है, उस के सही या फेक होने की जाँच पड़ताल नहीं करता, उस को बिला धड़क आगे फारवर्ड या शेयर कर देता है, वह खबर सही हो या गलत उस को इससे कोई मतलब नहीं, और अपने के पक्ष के विरोध में शेयर की जाने वाली हर खबर को चाहे वह सही केयुं न हो चाहे कितने ही अथंटीक सोर्स से आए पहले उस को गलत मानता है, या गलत साबित करने के लिए एड़ी छोटी का ज़ोर लगा देता है, और उस के बारे में पूरी छान बीन करता है, जब हर तरह विफल हो जाता है तो उस के पोस्ट करने वाले पर भद्दे भद्दे कमेंट्स पास करता है।
यही सोच कम व बेश हर आदमी की होती है, अपने पक्ष से हटने या उस को गलत मानने के लिए कोई भी वियक्त तैयार नहीं होता, इस तरह की सोच बिलकुल गलत है, और इसी से आई टी सेल वालों को हौसला मिलता है, और वह फेक न्यूज़ फैलाने में कामयाब हो जाते हैं, और हमारी आवाज़ फेक न्यूज़ की भीड़ में दब कर रह जाती है।
मै आप से यह नहीं कहता कि आप निष्पक्ष रहिये, निसंदेह आप का कोई न कोई पक्ष होना चाहिए, लेकिन किसी भी ख़बर को चाहे वह हमारे पक्ष में हो चाहे हमारे विरोध में हो निष्पक्ष होकर पढ़ना या देखना हम सब के लिए अनिवार्य है, ताकि हमें सही और फेक का कुछ अंदाज़ा हो सके, ऐसा करने से फेक न्यूज़ फैलाने वालों का हौसला पस्त हो जाए गा, उन के टी आर पी की कमर टूट जाए गी, और हम गलत खबर के फारवर्ड या शेयर से बच जायें गे, और धीरे धीरे हमारा समाज सोशल मीडिया गन्दगियों से पाक हो जाए गा।
फेक न्यूज़ से अपने आप को कैसे बचाएं?
संसार के किसी भी धर्म या जाति में झूट बोलना या उस को फैलाना महा पाप है, लेकिन हमारा पूरा समाज आज झूट से फल फूल रहा है, जिस के कारण लोगों में प्रेम के बजाये नफरत बढ़ती जा रही है, उसी का गहरा परभाव हम सोशल मीडिया पर भी देखते हैं, वहां पर आज कल झूट और गलत ख़बरों का ढेर होता है, झूट की इस अंधेर नगरी में सत्य की पहचान बड़ी टेढ़ी खीर होती है, बहुत से भोले भाले और सज्जन व्यक्तों को इस बात का ज्ञान ही नही होता है कि वह खबर जो वह YouTube या Facebook या tweeter या WhatsApp पर पढ़ रहे हैं वह गलत भी हो सकती है, इस लिए अपने पास पड़ोस के लोगों को उस के बारे में बताना चहिये की सोशल मीडिया की हर खबर सही नहीं होती।
सारे धर्मों की तरह हमारे इस्लाम धर्म में भी झूट को बहुत बड़ा पाप माना जाता है, पवित्र कुरआन और हमारे पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहेब की हदीसों में बार बार इस बात को बताया गया है कि: झूट से बचो, झूटे वियक्त की किसी बात का भरोसा नहीं है।
क़ुरआन पाक में सूरे हुजरात में अल्लाह ताला फरमाते हैं:
{يَاأَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِنْ جَاءَكُمْ فَاسِقٌ بِنَبَإٍ فَتَبَيَّنُوا أَنْ تُصِيبُوا قَوْمًا بِجَهَالَةٍ فَتُصْبِحُوا عَلَى مَا فَعَلْتُمْ نَادِمِينَ } [الحجرات: 6]
अनुवाद: ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! यदि कोई अवज्ञाकारी तुम्हारे पास कोई ख़बर लेकर आए तो उसकी छानबीन कर लिया करो। कहीं ऐसा न हो कि तुम किसी गरोह को अनजाने में तकलीफ़ और नुक़सान पहुँचा बैठो, फिर अपने किए पर पछताओ। (सुर हुजरात: 6)
मुस्लिम शरीफ में आया है:
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: «كَفَى بِالْمَرْءِ كَذِبًا أَنْ يُحَدِّثَ بِكُلِّ مَا سَمِعَ» صحيح مسلم (1/ 10)
अनुवाद: हज़रत अबू हुरैरह से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लालाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि: “किसी भी वियक्त के झूटा होने के लिए यही काफी है कि वह हर सुनी हुई बात दुसरे से बयान कर दे” । (सहीह मुस्लिम: 1/10)
क़ुरआन की आएत और हदीस माध्यम से सोशल मीडिया पर किसी भी खबर को पोस्ट, शेयर या फारवर्ड करने से पहले उस के बारे में छान बीन करना हमारे लिए ज़रुरी है कि ख़बर सही है या ग़लत, उस का सोर्स क्या है? उस का असल पोस्ट करने वाला या फारवर्ड करने वाला अथंटिक है कि नहीं, इतनी छान बीन के बाद अगर आप का दिल चाहे तो उस को फारवर्ड कर सकते हैं वरना नहीं।
किसी भी खबर को पोस्ट, फारवर्ड या शेयर करने का मतलब यह होता है कि आप उस खबर से 100% अगरी करते हों, उसके सोर्स और उस उस खबर के सही होने का आप को यक़ीन हो, और ज़रूरत पड़ने पर आप उस को साबित भी कर दें, बगैर छान बीन के अगर आप ने किसी खबर को फारवर्ड या शेयर किया तो आप की गिनती हदीस के माध्यम से झूटों में होगी, फिर कोई भी आप की बात पर यक़ीन नहीं करेगा
हमारे जानने वालों में एक साहब ने WhatsApp पर एक विडियो फारवर्ड की जिस में यह बताया गया था कि बच्चों के डाईपर Pampers की Small size पर मुहम्मद साहब का नाम है उस को यूज़ नहीं करना चाहिए इत्तफाक़ से वही डाईपर मेरे घर में भी था, मैं ने उस को मंगाया और उलट पलट कर देखा लेकिन मुझे कहीं भी मुहम्मद साहब का नाम समझ में नहीं आया, फिर मै ने उन साहब को काल किया और मुहम्मद साहब का नाम न होने की बात बताई, और उन से कहा कि: अगर आप ने मुहम्मद साहब का नाम देखा हो तो मुझे बताएं कि कहाँ पर है, इस पर वह कहने लगे कि: “एक साहब ने यह विडियो भेजा था दीनी चीज़ समझ कर मैने उस को फारवर्ड कर दिया” मै ने उन साहब से कहा: “किसी भी चीज़ को बिना छान बीन के फारवर्ड करने का गुनाह आप जानते हैं क्या है? आप की गिनती झूटों में होगी”।
इस बात को कई साल बीत गए, वह साहब पढ़े लिखे हैं, लेकिन उसके बाद आज तक मैंने उन की किसी भी पोस्ट को नहीं देखा, उनकी तरफ से पोस्ट की जाने वाली हर चीज़ मेरा भरोसा उठ गया।
यह एक उद्धारण है, इस तरह की लाखों वीडियोज़ रोज़ाना सोशल मीडिया पर घूमती रहती हैं, आप को भी उनको देखने का औसर मिलता रहता होगा, इस तरह की चीज़ों से हम सब को सावधान रहने की आवश्यकता है।
उपर की बताई गई बातों पर आचरण और अमल करने से हमें यह उम्मीद है हम सब फेक न्यूज़ से सावधान हो जाएं गे, और बिना छान बीन के अपने पक्ष की ख़बरों को भी फारवर्ड या शेयर नहीं करें गे, यदि हर व्यक्ति ऐसा करने की ठान ले तो एक न एक दिन सोशल मीडिया से फेक न्यूज़ का सफाया हो जाए गा, और फिर से हमारा भरोसा सोशल मीडिया पर क़ायम हो जाएगा, फिर हमारी आवाज़ को दबाने की हिम्मत किसी के अन्दर नहीं होगी, केवल सही ख़बरें सोशल मीडिया पर वायरल होंगी।
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