वजू
कोई भी नमाज़ पढ़नी हो उस के लिए सब से पहले वजू ज़रूरी है, बिना वजू के नमाज़ नहीं होती, वजू कैसे करते हैं? वजू में क्या क्या फ़र्ज़ है? उस को जानने के लिए नीचे किलिक करें।
वजू का तरीका
नियत
वजू के बाद जो नमाज़ पढ़नी हो उस की दिल से नियत ज़रूरी है कि: मै फजर की नमाज़ पढ़ रहा हूं या ज़ोहर की नमाज़।
तकबीर तहरीमा
नियत के बाद तकबीर तहरीमा यानि अल्लाहु अकबर कह कर नमाज़ को शुरू करना।
क़याम, सना और किरत
तकबीर तहरीमा के बाद हाथ बांध कर खड़े होने को क़याम कहते हैं, उस के बाद सना पढ़ते हैं, उस के बाद अलहम्दु और सूरत पढ़ते हैं उस को किरत कहते हैं।
रुकू, कौमा और रुकू की तस्बीह
पहली रकत में अलहम्दु और सूरत पढ़ने के बाद पीठ को सीधा करके झुकते हैं उस को रुकू कहते हैं, और इस में ३, बार ५ बार ७ बार या ९ बार सुबहान रब्बियल अज़ीम पढ़ते हैं, उस को रुकू की तस्बीह कहते हैं, उस के बाद रुकू से सीधा खड़ा होते हैं उस को कौमा कहते हैं।
सजदा, जलसा और सजदा की तस्बीह
रुकू और कौमा के बाद दोनों हाथों ज़मीन पर बिछा कर माथे को ज़मीन पर टेकते हैं उस को सजदा कहते हैं, इस में ३, बार ५ बार ७ बार या ९ बार सुबहान रब्बियल आला पढ़ते हैं उस को सजदा की तस्बीह कहते हैं, उस के बाद दोनों हाथों को पैर के दोनों घुटनों पर रख कर बैठते हैं उस को जलसा कहते हैं।
कादा ऊला (पहला कादा) और तशौहुद
चार या तीन रकत वाली नमाज़ में २ रकत के बाद थोड़ी देर बैठ कर खड़े होते हैं उस को कादा ऊला कहते हैं, और बैठने के दौरान अत्ताहियात पढ़ते हैं उस को तशौहुद कहते हैं।
कादा अखीरा (दूसरा कादा) और सलाम
नमाज़ की आखिरी रकत जिस में अत्ताहियात दरूद और दुआ पढ़ते हैं उस को कादा अखीरा कहते हैं, उस के बाद दाहनी तरफ मुंह कर के अस्सलामु अलिकुम व रहमतुल्लाह, और इसी तरह बाएं तरफ मुंह करके अस्सलामु अलिकुम व रहमतुल्लाह कहते हैं उस को सलाम कहते हैं।
तीन और चार रकत वाली फ़र्ज़ नमाज़ का तरीका
फ़र्ज़ नमाज़ की पहली २ रकत में अलहम्दु के बाद कोई सूरत पढ़ना होता है, उस के बाद कादा करते हैं, कादा में अत्ताहियात पढ़ते हैं, उस के बाद खड़े हो जाते हैं, उस के बाद अंतिम की २ रकत या एक रकत में केवल अलहम्दु पढ़ कर रुकू सजदा करके कादा अखीरा करते हैं, उस के बाद अत्ताहियात दरूद शरीफ और दुआए मसूरा पढ़ कर सलाम फेरते हैं।
दो रकत वाली फ़र्ज़ और सुन्ननत नमाज़ का तरीका
दो रकत वाली फ़र्ज़ या सुन्नानत नमाज़ की हर रकत में अलहम्दु के बाद कोई सूरत पढ़ते हैं, और कादा करते हैं, २ रकत वाली नमाज़ का पहला और दूसरा कादा यही है, उस के बाद इस में भी अत्ताहियात दरूद शरीफ और दुआए मसूरा पढ़ कर सलाम फेरते हैं।
चार रकत वाली सुन्ननत माज़ का तरीका
हम को यह बात अच्छी तरह जान लेनी चाहिए कि चार रकत वाली सुन्नत नमाज़ की हर रकत में सुरे फातिहा के बाद कोई सूरत पढ़नी होती है, पहली दो रकत में अलहम्दु और सूरत पढ़ कर पहला कादा करे उसमे अत्ताहियात पढ़ कर खड़ा हो जाये, और आखिर की दोनों रकत में भी अलहम्दु के बाद भी कोई सूरत पढ़े, उस के कादा अखीरा में अत्ताहियात दरूद शरीफ और दुआए मसूरा पढ़ कर सलाम फेर दे।
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