about christmas in hindi

About Christmas In Hindi, क्रिसमस की वास्तविकता

लेखक: मुहम्मद हाशिम कासमी बस्तवी

कुछ बातें ईसाई धर्म के बारे में

संसार में पाए जाने वाले धर्मों में एक धर्म हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम (यीशु मसीह) का भी है, जिस के मानने वालों को‍ Christian क्रिस्‌चन्‌ या ईसाई कहते हैं।

American Peoples Encyclopedia (1962, vol. 5. p. 435)  में ईसाइयत में बताया गया है कि: “ईसाइयत वह धर्म है जिस की स्थापना पहली शताब्दी में मसीह नासरी ने की, जिस का केंद्र  उनका जीवन उद्देश्य, और उनका संदेश है”

यह धर्म दुनिया के बहुत सारे देशों में पाया जाता है, हमारे भारत देश में भी उस के मानने वाले हैं, इस धर्म की पवित्र पुस्तक का नाम बायबल या इंजील है, असली बायबल इबरानी भाषा में थी, बहुत ज़माने के बाद उस का अनुवाद यूनानी, किब्ती, शामी और अन्य भाषाओं में हुआ, फिर 1610 ईस्वी शताब्दी में उस का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में हुआ, और आजकल जो बायबल मिल रही है वह भी अंग्रेजी भाषा में है, असली भाषा जिस में बायबल थी अब वह भाषा और पुस्तक दोनों दुनिया से नापैद हैं, यही वजह कि उसके अनुवादों में बहुत कमी बेशी है, बल्कि ईसा मसीह की असल शिक्षा ही नदारद है, यह लेख क्रिसमस के विषय में है वरना कुछ कमी बेशी की बेयाक्खा ज़रूर करता, फिर भी यूजर अगर कमेंट में रेकोमेंट करें गे तो एक लेख उस पर भी तैयार किया जाए गा।

इस्लाम और ईसायितय में बुनियादी अंतर

इस्लाम धर्म में हज़रत ईसा अलिहिस्स्लम को बहुत बड़ी शख्सियत रूप में माना जाता है, वह अल्लाह के संदेष्टा, नबी और रसूल हैं, इस्लाम धर्म में उनका नाम बड़ी इज्ज़त के साथ लिया जाता है, पवित्र कुरआन में आया है:

{إِنِّي عَبْدُ اللَّهِ آتَانِيَ الْكِتَابَ وَجَعَلَنِي نَبِيًّا (30) وَجَعَلَنِي مُبَارَكًا أَيْنَ مَا كُنْتُ } [مريم: 30، 31]

अनुवाद: (हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम कहते हैं) मै अल्लाह का दास हूँ, अल्लाह ने मुझ को पुस्तक (इंजील) दी, और मुझ को नबी बनाया, और मैं जहाँ भी रहूँ मुझ को बरकत और आशीर्वाद वाला बनाया {सुरह मरयम: 30, 31}

ईसाई धर्म में हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की स्थिति ईश्वर के बेटे की है, यानि हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के बेटे हैं, बल्कि उनको ईश्वर का दर्जा देते हैं, और कहते हैं कि उन्हों ने दुनिया में ईश्वर हो कर भी इंसानी रूप में अपना जीवन यापन किया, फिर अपनी जान की कुर्बानी दे दी, यहीं से ईसाई धर्म मुस्लिम धर्म से अलग हो जाता है, क्यूंकि ईसाई जो दावा करते हैं हमारा पवित्र क़ुरान जो की अपनी असली हालत यानि अरबी भाषा में है वह उस को सख्ती से नकारता है कुरआन में आया है कि:

{إِنَّ مَثَلَ عِيسَى عِنْدَ اللَّهِ كَمَثَلِ آدَمَ خَلَقَهُ مِنْ تُرَابٍ ثُمَّ قَالَ لَهُ كُنْ فَيَكُونُ } [آل عمران: 59]

अनुवाद: ईसा की मिसाल आदम की तरह है, अल्लाह ने इनको को भी मिटटी से पैदा किया है, फिर कहा कि हो जा तो हो गया। (सुरह आले इमरान: 59)

{يَاأَهْلَ الْكِتَابِ لَا تَغْلُوا فِي دِينِكُمْ وَلَا تَقُولُوا عَلَى اللَّهِ إِلَّا الْحَقَّ إِنَّمَا الْمَسِيحُ عِيسَى ابْنُ مَرْيَمَ رَسُولُ اللَّهِ وَكَلِمَتُهُ أَلْقَاهَا إِلَى مَرْيَمَ وَرُوحٌ مِنْهُ فَآمِنُوا بِاللَّهِ وَرُسُلِهِ وَلَا تَقُولُوا ثَلَاثَةٌ انْتَهُوا خَيْرًا لَكُمْ إِنَّمَا اللَّهُ إِلَهٌ وَاحِدٌ سُبْحَانَهُ أَنْ يَكُونَ لَهُ وَلَدٌ لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ وَكَفَى بِاللَّهِ وَكِيلًا} [النساء: 171]

अनुवाद: हे पुस्तक वालो! (ईसाई) अपने धर्म में अतिरंजना ना करो, यीशु मसीहा मरियम के पुत्र, ईश्वर के दूत और एक रसूल के अलावा कुछ भी नहीं थे जिसे परमेश्वर ने मरियम के पास भेजा था और परमेश्वर की आत्मा थी जो मरियम के गर्भ में एक बच्चे का रूप लेती थी, इसलिए अल्लाह और उसके दूतों पर विश्वास करो और यह मत कहो, “तीन हैं।” (यानि ईश्वर) तुम अपने अकीदे से वापस लौट जाओ, यह तुम्हारे लिए बेहतर है, ईश्वर केवल एक है। वह इस बात से बहुत ऊँचा है कि कोई उस्का पुत्र हो। (सुरह निसा: 171)

क्रिसमस क्या है? और यह क्यूँ मनाया जाता है?

क्रिसमस अंग्रेज़ी भाषा के दो शब्दों से मिल कर बना है: एक Crist और दूसरा Mass, Crist का मतलब यीशु मसीह, और Mass का मतलब इकट्ठा होना, जमा होना, यानि यीशु मसीह के लिए जमा होना, या एक साथ मिल कर उनका बर्थ डे मनाना,  इसी लिए 25 दसंबर ईसाई समुदाय के लेगों के लिए बहुत महत्तुपूड़ दिन माना जाता है, ईसाई धर्म के अंतर्गत इसी दिन यीशु मसीह का जन्म होआ था, इस लिए इस समुदाय के सारे लोग इस दिन एक जगह इकठ्ठा होकर जशन मनाते हैं, इस जशन में औरतें मोम बत्तियां जला कर अपनी आँखों को मूंद लेती हैं, फिर भगवान का धनंयवाद करती हैं कि उस ने उनको पवित्र बनाया, और इसी जशन में वह सारा किस्सा डरामे के रूप पेश किया जाता है जो हज़रत मरयम के साथ यीशु मसीह के जन्म के अंतर्गत हुआ था।

 जिस पेड़ के नीचे हज़रत मरयम अपनी उदासी और तन्हाई के दिन बिता रही थीं उसी को क्रिसमस टिरी कहा जाता है, यह पेड़ भी इस्टेज पर सजाया जाता है, और ड्रामा के अंत में लोग इस पेड़ की टेहनियाँ तोड़ कर बरकत के लिए अपने घरों में ले जाते हैं, और उस को घर में ऐसी जगह लगाते हैं जहाँ उनकी निगाह पड़ती रहे।

क्रिसमस की वास्तविकता

चौथी शताब्दी ईस्वी तक, संसार में क्रिसमस का कोई संकेत नहीं था। ईसाई लोग रविवार को चर्चों में पूजा करते थे, लेकिन यीशु का जन्मदिन मनाने का विचार अभी तक ईसाई धर्म में पैदा नहीं हुआ था। उस की वजह यह है कि यीशु मसीह के जन्म की तारीख के बारे में ईसाई विद्वानों में भी काफी तीव्र असहमिता पाई जाती है, आमतौर पर यह माना जाता है कि ईस्वी युग का आरम्भ ईसा के जन्म से होता है, लेकिन डिक्शनरी ऑफ द बुक और अन्य ईसाई पुस्तकों के पन्नों को पलटने से यह स्पष्ट होता है कि ईसा मसीह का जन्म 4, या 5 ईस्वी सन में हुआ है, जबकि माइकल बार्ट ने The Hundred में ने 6 ईसवी पूर्व बताया है।

इसी तरह यीशु मसीह के जन्म की तारीख के संबंध में भी काफी मतभेद है, रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट चर्च उसे 25 दिसंबर को, और पूर्वी आर्थोडोक्स चर्च 6 जनवरी, और अर्मेनियाई चर्च 5 जनवरी को मनाता है, क्रिसमस का जश्न पहली बार 25 दिसंबर को राजा कुस्तुनतीन के शासनकाल के दौरान 325 सन ईसवी शताब्दी में मनाया गया था, उस बाद यह सिलसिला चल पड़ा।

25 दिसंबर यीशु मसीह का जन्म दिन क्यूँ नहीं हो सकता?

पवित्र क़ुरआन में आया है कि:

{فَحَمَلَتْهُ فَانْتَبَذَتْ بِهِ مَكَانًا قَصِيًّا (22) فَأَجَاءَهَا الْمَخَاضُ إِلَى جِذْعِ النَّخْلَةِ قَالَتْ يَالَيْتَنِي مِتُّ قَبْلَ هَذَا وَكُنْتُ نَسْيًا مَنْسِيًّا (23) فَنَادَاهَا مِنْ تَحْتِهَا أَلَّا تَحْزَنِي قَدْ جَعَلَ رَبُّكِ تَحْتَكِ سَرِيًّا (24) وَهُزِّي إِلَيْكِ بِجِذْعِ النَّخْلَةِ تُسَاقِطْ عَلَيْكِ رُطَبًا جَنِيًّا (25) فَكُلِي وَاشْرَبِي وَقَرِّي عَيْنًا فَإِمَّا تَرَيِنَّ مِنَ الْبَشَرِ أَحَدًا فَقُولِي إِنِّي نَذَرْتُ لِلرَّحْمَنِ صَوْمًا فَلَنْ أُكَلِّمَ الْيَوْمَ إِنْسِيًّا(26) } [مريم: 22 – 26]

अनुवाद: फिर उसे उस (बच्चे) का गर्भ रह गया और वह उसे लिए हुए एक दूर के स्थान पर अलग चली गई। अन्ततः प्रसव पीड़ा उसे एक खजूर के तने के पास ले आई। वह कहने लगी, “क्या ही अच्छा होता कि मैं इससे पहले ही मर जाती और भूली-बिसरी हो गई होती” उस समय उसे उसके नीचे से पुकारा, “शोकाकुल न हो। तेरे रब ने तेरे नीचे एक स्रोत प्रवाहित कर रखा है। तू खजूर के उस वृक्ष के तने को पकड़कर अपनी ओर हिला। तेरे ऊपर ताज़ा पकी-पकी खजूरें टपक पड़ेंगी। अतः तू उसे खा और पी और आँखें ठंडी कर। फिर यदि तू किसी आदमी को देखे तो कह देना, मैंने तो रहमान के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। इसलिए मैं आज किसी मनुष्य से न बोलूँगी।”

हर कोई इस बात से सहमत है कि “यहूदिया” (वर्तमान फ़िलिस्तीन) राज्य के “बैतुल लहम” शहर में मसीह का जन्म हुआ था, और इस क्षेत्र में मध्य गर्मियों, जुलाई और अगस्त में खुजूरें होती हैं, ऊपर क़ुरआन की आयत के माध्यम से, अल्लाह ताला ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मसीह का जन्म खुजूर पकने वाले महीने, जुलाई या अगस्त में हुआ था, न कि 25 दिसंबर को जो कि यहूदिया (वर्तमान फ़िलिस्तीन) में भीषण ठंड और बारिश का महीना होता है।

अंतिम सन्देश मुस्लिम यूवाओं के लिए

क्रिसमस और उस की वास्तविकता आप के सामने आगई है, हिस्ट्री लेवल पर इस त्यौहार की क्या वेलु है यह बात भी आ गयी है, मेरा काम वियक्तगत किसी भी धर्म पर टिप्पड़ी करना नहीं है, हम किसी भी ईसाई भाई से यह नहीं नहीं कह रहे हैं कि आप यह त्यौहार क्यूँ मनाते हैं? या इस त्यौहार की कोई हक़ीक़त नहीं है इस को नहीं मनाना चाहिए, खुद ईसाई समुदाय के लोग भी इस में पाई जाने वाली खामियों को देख कर उस से बेज़ार हैं, मैं अपने इस्लाम धर्म के मानने वालों यूवाओं से कहता हूँ कि यीशु मसीह को बधाई देना और इस संबंध में किसी भी कार्यक्रम में भाग लेना इस्लामी विचारधारा के अनुसार सही नहीं है, हमारे यहाँ हमारा क़ुरआन और हमारे हज़रत मुमम्मद साहब की हदीसें हैं, इन दोनों के अंतर्गत अगर कोई चीज़ सही नहीं है तो हमें उस को नहीं करना है, इसी में हम सब की कामयाबी है, हम हज़रत ईसा को अल्लाह का पैग़म्बर मानते हैं, उनकी इज्ज़त करते हैं, क्यूंकि हमारी इस्लामी शिक्षाएँ बताती हैं कि अम्बिया और संदेशवाहक ब्रह्मांड में सबसे अहम शख्सियत थे, उनकी मान मर्यादा का ख्याल रखना हमारे धर्म का एक महत्तोपूड़ भाग है, लेकिन उस के साथ साथ हम को अपनी इस्लामी शिक्षाएं भी देखना कि वह हमारे धर्म में सही है कि नहीं, इस तरह के त्यौहारों के मनाने की हमारा धर्म हम आज्ञा नहीं देता है, लिहाज़ा हम सब को किरिस्मस से और इस जैसे दुसरे त्यौहारों में शमिल होने या मुबारकबादी से बचना चाहिए।

अल्लाह सारे मुस्लिम समुदाय को पश्चिमी अशिष्टता और उनके कल्चर से बचाये।

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