new year essay in hindi

New Year Essay In Hindi, हेप्पी न्यू इयर लेख

लेखक मुहम्मद हाशिम क़ासमी बस्तवी

हेप्पी न्यू इयर कैसे आरम्भ हुआ?

कहावत है कि जब दौलत की रेल पेल हो जाती है तो मनुषय के दिमाग़ में शैतान घुस जाता है, और वह भांति भांति के खोरफात को जन्म देता है, जहाँ पर उस को अपनी दौलत को खर्च करनी होती है, उन्ही खोरफात में से एक बेहूदा रस्म हेप्पी न्यू इयर समरोह की है, यह ईसाई समुदाय के लोगों की देन है, इस समारोह का चलन इन के यहाँ सदयों पहले से है, लिकिन यह भी कहा जाता है कि उस का आरम्भ ब्रिटिश नौसेना के कुछ मनचले युवा पुरुषों द्वारा हुआ था, जो कई कई महीने तक घर परिवार दूर से दूर रहते थे, और अपने किसी धार्मिक त्यौहार और घरेलु समारोह शामिल नहीं हो पाते थे, उसी समय, किसी मनचले ने यह सलाह दी कि क्यों न नए साल का जश्न मनाया, जाए और नए साल का स्वागत किया जाए, फिर वहीँ से यह रस्म चल पड़ी, ब्रिटिश रॉयल नेवी जहाज पर शुरू होने वाला यह त्योहार अन्य जहाजों में भी फैल गया, उसके बाद 1910 ईसवी शताब्दी में अन्डेन के तट पर नियमित रूप से नए साल का जश्न मनाया गया था, उस के बाद इस का रिवाज आम हो गया। (नेट से एक लेख की कुछ लाइनें)

इस कहानी में कहाँ तक सच्चाई है यह तो मैं नहीं कह सकता लेकिन इतनी बात तो तै है कि यह खोरफात भरा रिवाज मालदारों ही कि ज़ेहनी पैदावार है, वरना तो गरीब परवार के लोगों तो बस अपनी रोज़ी रोटी की फ़िक्र होती है, उनके दिल में यह सब बात कहाँ आती है।

हेप्पी न्यू इयर होने वाले खोराफात की एक झलक

नए साल के जश्न में कहीं कहीं पर पूरे देश को रंग बिरंगी रोशनियों और दीपकों से सजाया जाता है, और 31 दिसंबर की रात को 12 बजे का बेचैनी से इंतजार किया जाता है और 12 बजते ही एक दूसरे को बधाई देते हैं, केक काटा जाता है, और हर तरफ हेप्पी न्यू इयर, हेप्पी न्यू इयर की आवाज़ आती है, आतिशबाजी की जाती है, और विभिन्न नाइट क्लबों में मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें शराब, नृत्य और जवान लड़कियों की पूरी व्यवस्था होती है, इस पूरे जश्न में लोगों की दिलचस्पी केवल दो ही चीज़ों में होती है एक शराब और दोसरी जवान औरतें, जिस का नतीजा यह होता है कि हर साल लाखो जवान बर्बाद हो जाते हैं सैकड़ों लड़कियों की इस्मत दरी होती है, और न जाने कितने लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।

एक खबर के अनुसार ब्राज़ील के शहर रूडी जेनो में एक बदनाम ज़माना समुद्री तट है, जिसे “कोपाकाबाना” कहा जाता है, सन 2002 में  इस समुद्री तट पर 1.5 मिलियन लोग हेप्पी न्यू इयर मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। आधी रात को, जब रोशनियाँ बुझा दी गयीं और आतिशबाजी शुरू हुई, तो हंगामा होने लगा, सैकड़ों नौजवान हंगामे में समुद्र में गिर गए, सैकड़ों लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया, और अनगिनत लोगों को रौंद दिया गया। अगले दिन समुद्र तट पर मानव अंगों, खून और फटे पुराने कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं था।

1 जनवरी, 2005 को, अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के एक नाइट क्लब में नए साल के समारोह में संगीत कार्यक्रम के दौरान आतिशबाजी के प्रदर्शन में कम से कम 300 लोग मारे गए और 500 से अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए, इस हादसे के दौरान क्लब हॉल में 1,500 लोग मौजूद थे।

कहाँ तक बताया जाए हेप्पी न्यू इयर की पार्टी में हर साल दुनिया भर में इस तरह सैकड़ों हादसे होते हैं, इन में जान, माल, इज्ज़त, आबरू और न जाने कितने परकार के नुक़सान होते हैं।

हेप्पी न्यू इयर और आज के मुसलमान

हम उपर इस बात बता चुके हैं की यह त्यौहार ईसाइयों का है, इस का इस्लाम या मुसलमानों से कोई संबन्ध नहीं है, लेकिन दुख के साथ कहना पड़ता है कि आज इन ईसाइयों की तरह  बहुत से मुस्लिम नए साल का इंतजार करते रहते हैं, इन मुसलमानों ने अपने मूल्यों और परंपराओं को नीचा दिखाते हुए नए साल का जश्न मनाना शुरू कर दिया है, जबकि यह ईसाइयों का बनाया हुआ एक इतिहासिक सिस्टम है, उनके यहाँ हर नया साल जनवरी से आरम्भ होता है, और उसमे वह लोग जश्न मानते हैं, और मुसलमानों के पास उनका अपना इतिहासिक क़मरी (चंद्रमा) इस्लामी सिस्टम है जो हमारे पैगंबर मुहमम्द साहेब (स० अ० व) की हिजरत से संबंधित है जो मुहर्रम से शुरू होता है, और ज़िलहिज्जह में समाप्त होता है। यह इस्लामी कैलेंडर है। लेकिन दुख की बात है कि हममें से ज्यादातर लोग इसे जानते भी नहीं हैं, जब हम अपने नए वर्ष पर जश्न मनाने अनुमति नहीं है तो दुसरों के के नए साल पर जश्न मनाने की इजाज़त कैसे होगी।

नए साल पर जश्न नहीं दुख होना चाहिए

हमारा जीवन भगवान का एक अनमोल उपहार है, हर नए साल पर इस उपहार की एक कड़ी कट जाती है, और जब कोई अनमोल चीज़ चली जाती है तो जश्न नहीं मनाया जाता बल्कि दुख पछतावा होता है, बीता साल कड़वे अनुभवों, हसीन यादों, और सुख, दुःख और शोक की दुर्घटनाओं को पीछे छोड़ कर जाता है, और यह सन्देश देकर जाता कि हमारा यह उधार का जीवन एक एक करके पूरा का पूरा एक दिन खत्म हो जाए गा, जब साल समाप्त होता है तो हमारे जीवन खुशियाँ भी खत्म होती हैं, इसलिए नए साल का जश्न मनाना, या हेप्पी न्यू इयर की बधाई देना सराहनीय कार्य नहीं है।

हेप्पी न्यू इयर के बारे में हमारा इस्लाम क्या कहता है?

उपर हम बता चुके हैं कि यह सब त्यौहार चाहे वह हेप्पी न्यू इयर हों, यह वेलनटाइन डे, या चिल्ड्रेन डे, टीचर डे, मदर डे, बर्थ डे यह सब के सब बेकार और कीमती वक़्त को बर्बाद करने वाले हैं, और यह सब यहूदी या ईसाइयों की देन, इनका इस्लाम धर्म या मुसलमानों से कोई रिश्ता नाता नहीं है,  ऐसी चीज़ों के बारे में हदीस में आया है कि:

عَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ، أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: “مِنْ حُسْنِ إِسْلَامِ الْمَرْءِ تَرْكُهُ مَا لَا يَعْنِيهِ”. (موطأ إمام مالك: 2/903)، (سنن الترمذي: 2318).

अनुवाद: हज़रत अली बिन अबी तलिब (र० अ०) से रिवायत है कि रसुलुललाह (स० अ० व०) ने इरशाद फ़रमाया कि: “मनुष्य के इस्लाम का गुण यह है कि वह बेकार चीजों से बचे”। (मुअत्ता इमाम मालिक: 2/903, सुनन त्तिर्मिज़ी: 2318)

इस हदीस के अंतर्गत हमें ऐसी चीज़ों से बचना चाहिए जिस में हमारे दीन या दुनिया का कोई लाभ न हो।

इसी तरह हमारे हज़रत मुहमद (स० अ० व०) ने दूसरे समुदाय के लोगों की नकल से बचने का आदेश दिया है, एक हादीस में आया है कि:

عَنِ ابْنِ عُمَرَ، قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: “مَنْ تَشَبَّهَ بِقَوْمٍ فَهُوَ مِنْهُمْ”. (سنن أبي داود 4031، مسند الإمام أحمد: 5114).

अनुवाद: हज़रत इब्ने उमर (र० अ०) से रिवायत है, कहते हैं रसुलुललाह (स० अ० व०) ने इरशाद फ़रमाया कि: जो भी किसी समुदाय की नकल करता है, वह उनमें से एक है। (अबू दाऊद: 4031, मुसनदे अहमद: 5114)

हदीस का मतलब यह है कि अगर हम दूसरी कौमों के ऐसे मार्गदर्शक पर चलें गे जिस में हमारा दीनी या दुनयावी लाभ न हो, और उनकी संगत अपनाएं गे, उनके त्योहारों अपना त्यौहार समझ कर मनाएं तो हम को भी उसका पूरा पूरा पाप मिले गा, इस लिए हम सब को हेप्पी न्यू इयर मनाने से बचना चाहिए, यह गैरों का त्यौहार है हमारा नहीं।

नए साल पर हम को क्या करना चाहिए?

अब प्रश्न यह है कि फिर हम को नए वर्ष पर क्या करना चाहिए? तो घरएं नहीं हम आप को दो इस्लामी तरीका बताते है:

1  – नए वर्ष पर यह दुआ पढनी चाहिए

जब नया साल या नया महीना आरम्भ हो तो हम यह दुआ पढ़नी चाहिए जैसा कि हदीस में आया है:

“اللَّهُمَّ أَدْخِلْهُ عَلَيْنَا بِالْأَمْنِ، وَالْإِيمَانِ، وَالسَّلَامَةِ، وَالْإِسْلَامِ، وَرِضْوَانٍ مِنَ الرَّحْمَنِ، وَجَوَازٍ مِنَ الشَّيْطَانِ”. (روه الطبراني في الأوسط: 6241).

दुआ हिंदी में:

अल्लाहुम्मा अदखिल्हू अलैना बिलअमनि, वलईमानि, वास्स्लामति, वलइस्लामि, व रज्वानिम मिनर रहमानि, व जिवाज़िम मिनश्शैतानि। (तबरानी औसत: 6241)

अनुवाद: हे अल्लाह इस नए वर्ष को हमारे उपर शांति और सुरक्षा, इस्लाम और आपकी सहमति, अथवा शैतान से पनाह के साथ दाखिल कर

2 – बीते हुए साल का जायज़ा और आने वाले साल की चिंता

नया साल आने का मतलब यह होता है कि हमारे जीवन का एक साल कम हो गया, अब अपने अतीत का हम को जायज़ा लेना है कि हमें अपने जीवन के क्षेत्र में पूजा पाठ, दूसरों के मामलों में, हलाल और हराम, अल्लाह के अधिकारों में हमसे कहाँ कहाँ कमी कोताही हुई है, क्योंकि मनुष्य अपने दोषों और कमियों को दूसरों की नज़रों से छिपा सकता है; लेकिन वह अपनी आँखों से बच नहीं सकता, बीते साल का जायज़ा लेने के अब हम आने वाले साल में दिल से पक्का इरादा करना होगा कि पिछले साल जो मुझ से गलतियाँ हुई हैं उनको मैं इस साल नहीं दोहराऊं गा, मेरे अन्दर जो कमी है उनको दूर करने की प्रयत्न करूँ गा, मनुष्य गलतियों का पुतला है उस से गलतियाँ तो होती रहें गी, अगर गलती करना बुरा है तो उस से सीख न लेना उस से भी बुरा है।

खुलासा यह है कि: हर नया साल एक अक़लमंद व्यक्ति को खुश करने के बजाय बेचैन करता है; क्योंकि उसे पता चलता है कि मेरी उम्र धीरे धीरे कम हो रही है और बर्फ की तरह पिघल रही है, वह किस बात पर ख़ुशी मनाये? इस पर कि उस के जीवन का एक सल कम हो गया? यह तो बेवकूफ से बेवकूफ ब्यक्त भी नहीं सोच सकता, बल्कि इस से पहले कि उस के जीवन का सूरज हमेशा के लिए डूब जाए कुछ करने की इच्छा उसे बेचैन कर देती है कि उसके पास समय कम और काम ज्यादा है।

अंत में भगवान से परार्थना है कि वह हम सभी को दूसरों की नकल, और उनके मार्गदर्शन पर चलने से से बचाए, और पैगंबर मुहम्मद (स० अ० व०) की सुन्नत का पालन करने की तौफीक दे आमीन।

 

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