नमाज़ के मसाइल, फ़र्ज़, वाजिब, सुन्नत मुस्तहब मकरूह मुफ्सिदात
लेखक: मुहम्मद हाशिम क़ासमी बस्तवी
नमाज़ की शर्तें और उसके फरायेज़
- जगह का पाक होना।
- शरीर का पाक होना।
- कपड़े का पाक होना।
- सतर का छुपाना। (नाभी से लेकर घुटनों तक)
- समय को पहचानना।
- क़िबला का सामना करना।
- नमाज़ कि नियत करना।
- तकबीर तहरीमा कहना।
नोट: इन सारी चीज़ों को नमाज़ की शर्तें कहते हैं, यह सब नमाज़ को आरम्भ करने से पहले ज़रूरी है, अब आगे उन चीज़ों को बताया जा रहा है जो नमाज़ के अन्दर अनिवार्य है।
- कयाम। (यानि तकबीर तहरीमा के बाद हाथ बांध कर खड़ा होना।
- किरत। (सुरह फातिहा और सूरत वगैरह पढ़ना, कम से कम 3 छोटी आयतें, या एक बड़ी आएत)
- रुकू।
- सजदा।
- अंतिम कादा (यानि आखरी रकत में सजदा के बाद) में तशह्हुद की मात्रा बैठना।
नमाज़ के वाजिबात
- फ़र्ज़ नमाज़ की पहली दो रकअतों में, और बाक़ी नमाज़ों (सुन्नत और नफल) की हर रकत सूरह अल-फ़ातिहा का पढ़ना।
- फ़र्ज़ नमाज़ की पहली दो रकअतों में, और बाकी सभी नमाज़ों की सभी रकअतों में एक सूरत पढ़ना।
- सूरह अल-फातिहा का सूरत से पहले पढ़ना।
- इमाम का सिर्री नमाज़ (ज़ोहर, असर) में धीरे-धीरे और जहरी नमाज़ (मग़रिब, इशा, फजर) में ज़ोर से पढ़ना।
- कौमा करना, यानि रुकू से उठ कर सीधा खड़ा होना।
- जलसा करना, यानि दोनों सजदों के बीच में बैठना।
- तादीले अरकान, यानि नमाज़ के हर पार्ट को भलिभांति अदा करना।
- तरतीबे अरकान, यानि जिस परकार से नमाज़ पढ़ने का हुक्म है उसी परकार पढ़ना, ऐसा न हो कि पहले सजदा कर ले फिर रुकू करे।
- पहले कादा (4 रकत वाली नमाज़ में 2 रकत पर बैठने को पहला कादा कहते हैं) में तशह्हुद की मात्रा बैठना।
- दोनों कादों में अत्ताहियात पढ़ना।
- पहले क़दा में तशह्हुद पढ़ने के तुरंत बाद तीसरी रकअत के लिए खड़े होना।
- वित्र की नमाज़ की तीसरी रकअत में तकबीर कहना और दुआए क़ुनूत पढ़ना।
- ईद और बकराईद की नमाज में छह अतिरिक्त तकबीर कहना।
- “अस्सलामु अलालिकुम व रहमतुल्लाह” का शब्द कहकर नमाज़ को पूरा करना।
नमाज़ की सुन्नातें
- तकबीर तहरीमा कहने से पहले दोनों हाथों को कानों तक उठाएं।
- दोनों हाथों की अंगुलियों को खुला रखें और क़िबला की ओर मुंह करके रखें।
- तकबीर कहते समय सिर न झुकाएं।
- इमाम का तकबीर तहरीमा और सारी तक्बीरें आवश्यकता के अनुसार जोर से कहना।
- दाहिने हाथ को बाएं हाथ पर नाभि के नीचे बांधना।
- सना पढ़ना।
- ताउज़ (यानि अऊज़ु बिल्लाहि मिनाश्शैतानिर रजीम) पढ़ना।
- तस्मियह (यानि बिसमिल्लाहिर रहमानिर रहीम) पढ़ना।
- फ़र्ज़ नमाज़ की तीसरी और चौथी रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा का पढ़ना।
- आमीन कहना।
- सना, ताउज़, बिस्मिल्लाह, और आमीन को धीरे-धीरे पढ़ना।
- सुन्नत के अनुसार किरत करना, अर्थात जिस नमाज़ में जितना कुरान पढ़ना सुन्नत है उसी के अनुसार कुरान का पाठ करना।
- रुकु और सजदा में कम से कम तीन बार तस्बीह पढ़ना।
- झुकते समय सिर और पीठ को सीध में रखना, और दोनों हाथों की खुली उंगलियों से घुटनों को पकड़ना।
- कौमा में इमाम को समिअल्लाह लिमन हमिदा और मुक्तदी को रब्बाना लकल्हम्दु और अकेले नमाज़ पढ़ने वाले को दोनों कहाना चाहिए।
- सजदा करते समय पहले दोनों घुटने, फिर हाथ, फिर नाक और फिर माथा रखें।
- कादा और जलसा बाएँ पैर को बिछा उसपर बैठना, और दाहिने पैर को इस तरह खड़ा रखना कि उसकी उँगलियों के सिरे किबले की तरफ रहें, और दोनों हाथों को रानों पर रखना।
- तशह्हुद में, अश्हदु अल ला इलाहा पर शहादत की उंगली से इशारा करना।
- अंतिम कादा में तशह्हुद के बाद दुरूद शरीफ़ का पाठ।
- दुरूद शरीफ के बाद दुआए मासूरह पढ़ना।
- पहले दाएँ फिर बाएं ओर सलाम फेरना।
नमाज़ के मकरुहात
- आलस और लापरवाही के कारण नंगे सिर नमाज़ पढ़ना।
- सिर पर बालों को इकट्ठा करके चुटिया बंधना।
- पगड़ी की पट्टी या पेच पर सजदा करना।
- हाथ या सिर के इशारों से सलाम का जवाब देना।
- आंखें बंद कर लेना, लेकिन नमाज़ में दिल न लगे तो आंखें बंद करना मकरूह नहीं है।
- किबले की तरफ से मुह फेर कर इधर उधर देखना।
- पैसे या कोई ऐसी चीज मुंह में रख नमाज़ पढ़ना जिससे किरत में दिक्क़त पेश आए।
- जानबूझकर जमाई लेना, या जमाई रोक सकने की हालत में जमाई न रोकना।
- अंगड़ाई लेना।
- कपड़े को इस तरह लपेटें कि हाथ जल्दी से बाहर न निकल सकें।
- कमर या कोख या कूल्हों पर हाथ रखना।
- पेशाब या पाखाना की आवश्यकता होने की हालत में नमाज़ पढ़ना।
- उंगलियाँ चटखाना, या एक हाथ की उंगलियाँ दुसरे हाथ की उँगलियों में डालना।
- आयतें, या सूरतें, या तस्बीहात को उँगलियों पर गिनना।
- कंकड़-पत्थर हटाना, लेकिन सज्दा करना मुश्किल हो तो उसे एक बार हटाने में कोई हरज नहीं है।
- बिना किसी बहाने चार जानू बैठना।
- उकड़ू बैठना, अर्थात् इस प्रकार बैठे कि जाँघें ऊपर उठें और जाँघें पेट से, और घुटने सीने से जुड़े हों और हाथ ज़मीन पर टिके हों।
- किसी के मुह की तरफ खड़े होकर नमाज़ पढ़ना।
- आगे की सफ में जगह होने के बावजूद पीछे की सफ में अकेले खड़े होकर नमाज़ पढ़ना।
- इमाम का मुक्तादियों से उपर खड़े होना, जिस की ऊँचाई एक हाथ हो।
- इमाम का मिहराब के अंदर खड़े होना।
- सुन्नत के खिलाफ नमाज़ पढ़ना।
- कोहनियों को बिछा कर सजदा करना।
- सदल यानि कपड़े को लटकाना, जैसे सिर पर चादर डाल उसके दोनों ओर लटका देना, इच्किन या चोगा को आस्तीनों में हाथ डाले बिना कन्धों पर डाल लेना।
- कपड़ों को धुल या मिटटी से बचाने के लिये समेटना।
- कपड़े या शरीर से खेलना।
- मामूली कपड़े पहनकर नमाज़ पढ़ना।
- किसी जानवर के चित्र वाले कपड़े पहनकर नमाज़ पढ़ना।
- ऐसे स्थान पर नमाज़ पढ़ना कि नमाज़ी व्यक्ति के सिर के ऊपर या उसके सामने या दाएं और बाएं सजदा के स्थान पर किसी जानदार का चित्र हो।
नमाज के मुस्तहबात
- तकबीर तहरीमा बोलते समय पुरुषों को दोनों हथेलियों को आस्तीन से बाहर निकालना चाहिए और महिलाओं को दोनों हाथों को दुपट्टे के अंदर से कंधों तक उठाना चाहिए।
- रुकू और सजदा में तीन बार से ज्यादा तसबीह पढ़ना।
- कयाम की स्थिति में निगाह को सज्दे की जगह पर, रुकू में क़दमों पर, सजदा, में नाक पर, कादा में गोद पर, और सलाम फेरते वक़्त अपने कन्धों पर रखनी चाहिए।
- खांसी को पूरी ताकत से रोकना।
- जमाई में मुंह बंद रखें और अगर खुल जाए तो कयाम की हालत में दाहिने हाथ के पिछले हिस्से से, और बाक़ी अरकान में बाएं हाथ के पिछले हिस्से से छिपा दें।
नमाज़ के मुफ्सिदात,(नमाज़ को भ्रष्ट करने वाली चीज़ें)
- जान बूझ कर या गलती से सलाम करना।
- जान बूझ कर या गलती से बात चीत करना।
- जान बूझ कर या गलती से किसी बात का जवाब देना।
- तकलीफ के कारण “आह” या “उफ़” करना।
- बुरी खबर पर “इन्ना लिल्लाह कहना” या अच्छी खबर पर “अल्हम्दु लिल्लाह” या अजीब खबर पर “सुबहानल्लाह” कहना।
- दर्द या तकलीफ की वजह से जोर-जोर से रोना।
- अपने इमाम के सिवा किसी को लुकमा देना (यानि गलत पढ़ने या भूल जाने पर नमाज़ ही में दुसरे को टोकना या बताना)।
- इमाम से आगे बढ़ जाना (यानि नमाज़ के किसी पार्ट को इमाम से पहले अदा करना) ।
- पवित्र कुरान को नमाज़ में देख कर पढ़ना पढ़ना। (नमाज़ में किरत ज़बानी होती अगर कोई वियक्त कुरान शरीफ खोल कर उस से किरत करता है तो उसकी नमाज़ नहीं होगी)
- कुरान पढ़ने में गंभीर गलती करना। (यनी ज़ेर ज़बर की ऐसी गलती हो जाए जिस से मतलब उल्टा हो जाए, और वह हमारे इस्लाम विरुद्ध हो)
- नापाक स्थान पर सजदा करना।
- जान बूझ कर या गलती से खाना पीना।
- बिना किसी बहाने के सीना को क़िब्ला से मोड़ना।
- सत्तर के खुलने की दशा में एक एक रुक्न की मात्र ठहर जाना।
- दो सफ आगे या दो सफ पीछे चलना।
- बालिग़ व्यक्ति का नमाज़ में जोर ज़ोर से हँसना।
- अमल कसीर, यानी कुछ ऐसा करना जिससे देखने वाले को समझ में आ जाए कि यह व्यक्ति नमाज़ नहीं पढ़ रहा है।
- प्रार्थना में कुछ ऐसा मांगना जो लोगों से मांगा जाता है, उदाहरण के लिए: हे अल्लाह मुझे सौ रुपये दे।
Namaz ki Sharayit, Waajibaat, Mufsadaat, Sunan o Mustahibbaat
(Sharayit…Namaz ke Sahi hone ki Sharten.
Waajibaat…wo cheez jo Waajib ho yaani ke Zaruri ho.
Mufsadaat….Namaz ko Faasid (Kharaab) kar dene wali cheezen.
Sunan….Wo cheezen jo Sunnat hon.
Mustahabbaat……Wo cheezen jinke karne se Sawaab or na karne se gunaah nahi milta.)
Note: Ye Artical Mukhtasar (Kam, Chhoti.) Namaaz ki Sharaayit iske Faraayiz, Waajibaat, Mufsadaat, Or iski Sunan or Mustahabbaat ke Baare me he Zarurat ke mutaabiq Kahin kahin kuchh zyadah Bhi kiya gayaa he.
Namaz Ki Sharaayit
1 Jagah ka paak hona.
2 jism ka Paak hona.
3 Kapdon ka paak hona.
4 Satar (Badan) Ka chhipana.
5 Time ka Maaloom karna.
6 Qible (Kaba) ki Taraf Chehra karna.
7 Niyat karna.
8 Takbeer Tahreem (Niyat baandhne ke baad Allaahu Akbar )Kehna.
Namaz Ke Faraayiz
1 Qayaam karna (Khadaa hona)
2 Qiraat karna (Quran Shareef ki 1 Badi Aayat ya koi bhi 3 Chhoti Aayat padhna)
3 Rukoo Karna.
4 Dono Sajde karna.
5 Aakhri Qaayde me Tashahhud (Attahiyyaat )padhne ke Baraabar bethhna.
Namaz Ke Waajibaat
1 Farz ki pehli 2 Rataaton me or Baaqi namazon ki Sabhi Rakaaton me Sureh Fatiha ka padhna.
2 Farz ki pehli 2 Rakaaton me or baaqi namazon ki Sabhi Rakaaton me koi Bhi Ek Surat Padhna.
3 Sureh fatiha Surat se Pehle padhna.
4 imaam ka sirri Namaz (Zohr or Asar) Me Aahista or Jehri namaz (Fajar, Maghrib, or Isha me unchi Aawaz se Qiraat karna.
5 Qoumaa karna (Rukoo se uthh kar seedha khadaa hona)
6 Jalsaa karna (Dono Sajdon ke Beech me Bethhna)
7 Taadeel Arkaan (Yaani Namaz ke Tamaam Arkaan Tamaam Step itminaan or Sukoon Se Adaa karna)
8 Tarteebe Arkaan (Yaani pehle Qayaam phir Qiraat phir Rukoo phir Sajdah)
9 Qaydah Oolaa me Tashahhud Ki miqdaar bethhna (2 Rakaat padhne ke baad Attahiyyat padhne ke Baraabar bethhna)
10 Dono Qaydon me Tashahhud ki Miqdaar Bethhna.
11 Qaaydah Oolaa me Tashahhud Padhne ke Baad Foran teesri Rakaat ke liye Khade Ho jana.
12 Witr Ki Namaz ki Teesri Rakkat me Takbeer (Allaahu Akbar) Kehna Or Duaye Qunoot Padhna.
13 Eadain (Dono ead) Ki Namaz me 6 Takbeer zyada kehna.
14 lafz Assalaamu Alaikum Warah matullah Keh Kar Namaz Khatm karna.
Namaz Ki Sunnaten
1 Takbeere Tahreema (Allaahu Akbar) kehne se pehle dono haathh Kaanon tak Uthhana (Ourten Seene tak uthhayngin).
2 Dono Hathhon ki ungliyaan apne Haal per Khuli or Qibla Rukh (Kaabe ki taraf) Rakhna.
3 Takbeer Kehte Waqt Sar Ko Na jhukana.
4 imaam ka Takbeere Tahreema or Ek Step se dusre step Ki taraf jane ke liye Sabhi Takbeeraat Oonchi Aawaz se kehna.
5 Seedhe Haathh ko Ulte haathh ke uper Naaf ke neeche Baandhna (Ourten seene per Baandhengin).
6 Sanaa padhna (Subhaana Kallaahumma……).
7 Ta ooz yaani A oozu Billaahi Minash Shaytaanir rajeem padhna.
8 Tasmiya yaani Bismillaahir Rahmaanir Raheem Padhna.
9 Farz Namaz ki Sirf Teesri or Chothhi Rakaat me Sureh Fatiha padhna.
10 Ameen kehna.
11 Sanaa (Sub haana kallaahumma,) Taooz, (A oozu Billaahi Minash Shaytanir Rajeem) Tasmiya (Bismillaahir Rahmaanir Raheem) Or Aameen Sab Aahista (Slow Kehna.
12 Sunnat ke Mutabiq Qiraat karna yaani jis namaz me jitna Quran padhna Sunnat he uske Mutaabiq padhna.
13 Rukoo Or Sajde ki Tasbeehaat Ko Kam se Kam 3 baar kehna.
14 Rukoo me Sar or Peethh ko ek Seedh me Rakhna Or Dono Haathhon ki khuli ungliyon se ghutno ko Pakadna.. Ourten Sirf Itna Jhukengin ke Ghutno tak Haathh pahunch Sake Ghutno ko pakadna nahi he sirf haathh rakhna he.
15 Qoume (Rukoo se uthh kar seedha khadaa hona) me imaam Ko Sami Allahu Liman Hamida Or Muqtadi (Peechhe namaz padhne wale ) ko Rabbanaa Lakal Hamd or Akele Namaz padhne wale ko Dono kehna.
16 Sajde me jaate Waqt Zameen per pehle dono ghutne phir haathh phir naak phir Peshaani (Maathha) Rakhna.
17 Jalsa or Qayda me Seedha pair bichhaa kar is per Bethhna or ulte pair ko is tarah Khadaa rakhna ke uski Ungliyon ke sire Qible ki taraf rahen or Dono haathh Raanon Per rakhna is tarah ke Ungliyaan ghutne se neeche na latken.
Or Ourten is tarah Bethhengin ke Dono pair Seedhi Taraf ko Nikal jayn.
18 Tashahhud me Ash hadu An Laa ilaaha illallaahu Per Shahaadat ki Ungli (Pehli ungli) ko uthaa ker Ishara karna or Illallaahu per Giraa dena.
19 Qaayda Aakhir (Last Attahiyyat) me Tashahhud ke Baad Durood Shareef padhna.
20 Durood Shareef ke Baad Duaaye Maasoora (Rabbana Aatina ya koi bhi or Dua) padhna.
21 pehle Daayen taraf (Right Site) phir Baayen Taraf (left Site) Salaam pherna.
Namaz Ke Mukroohaat
1 Susti Or Laa parwaahi ki Wajah se Nange Sar namaz padhna.
2 sar Ke Baalon ko Ek jagah jamaa karke Chuttaa baandhna.
3 Amaama (Pagdi) ke Beech me Sajdah Karna.
4 Haathh ya Sar ke Ishaare se Salaam ka Jawab dena.
5 Aankhon ko Band karna Or Agar Namaz me Dil lagane ke liye Band kare to koi Harj nahi he.
6 Qible ki Taraf se Chehra pher kar ya Sirf Nigaah idhar udhar karke Dekhna.
7 Muh me Rupya Wagherah ya koi Esy Cheez rakh kar Namaz padhna jisse Qiraat Karne me Dushwari ho.
8 Qasdan (Jaan poochh kar ) jamayi Lena Ya Rokne ki Koshish na karna.
9 Angdaayi lena.
10 Is Tarah Kapda lapet kar namaz padhna ke Haathh jaldi bahar na nikal Saken.
11 Kamar Ya Kokh ya Koolhe per Haathh Rakhna.
12 Peshab Wagherah ke Taqaaze Ki Haalat me Namaz padhna.
13 ungliyaan Chatkhana ya ek Haathh ki ungliyaan dusre Haathh ki ungliyon me daalna.
14 Aayaat ya Suraten ya Tasbeehaat ko Ungliyon per Ginnaa.
15 Kankariyon ko hatana lekin agar Sajdah karna Mushkil ho to ek baar hataane me koi Harj nahi.
16 Bilaa uzr Chaar Zaanu Bethhna (Yaani bina kisi Dukh takleef ke Paalti maar kar Bethhna).
17 Ukru Bethhna yaani is Tarah Bethhna ke raanen Khadi hon, Or Raanon ko pet se or Ghutno ko Seene Se milaye Rakhna Or Haathhon ko Zameen per Rakh lena.
18 Kisi ke muh ki Taraf Khade hoker Namaz padhna.
19 Agli Saf Me Jagah hone ke Bawujood Pichhli Saf me Akele Khade hoker Namaz padhna.
20 Imam ka Akele Muqtadiyon se Alag ek haathh oonchi jagah khade hoker namaz padhna.
21 Imam ka Mehraab ke Andar khadaa hona.
22 Khilaafe Sunnat Namaz padhna.
23 kohniyon ko Bichha kar sajdah karna.
24 Sadal yaani kapde ka Latkana, For Example Chaader Sar per Daal kar Iske Dono kone Latkaa dena ya Shirt Kurta Wagherah Me Bagher Aasteeno me Haathh Daale Ese hi Kaandhon per Daal lena.
25 Kapdon ko mitti se Bachaane ke liye Haathh se Samaitnaa.
26 kapde se Ya Badan se khelna.
27 Maamooli Kapde pehen kar Namaz padhna.
28 Jaandaar ki Tasweer wale kapde pehen kar Namaz padhna.
29 Esy Jagah Namaz padhna jahaan Namazi ke Sar ke uper ya Daayen Baayen Sajde ki Jagah per Tasweer ho.
Namaz Ke Mustahibbaat
1 Takbeere Tahreema (Allahu Akbar) kehte Waqt Mardon ko Dono Hathhelyaan Aasteenon se Baaher nikaalna Or ourton ko Dupatte ke Andar hi se Dono Haathh Kaandhon tak uthhana.
2 Rukoo or Sajde me Munfarid (Akele Namaz padhne wale ko) 3 Baar se zyada Tasbeeh kehna.
3 Qayaam (Khade hone ki Haalat me) nigaah ko Sajde ki Jagah per Rukoo me Qadmon per Sajde me Naak per Qayde me Goud per or Salam kehte waqt apne Kandhon per Rakhna.
4 Khaansi ko apni Taaqat Bhar Rokna.
5 jamayi ke Waqt muh ko Band rakhna or Agar khul hi jaye to Qayaam ki haalat me Daayen haathh ki Pusht (peechhe ka hissa) se or Baaqi Step me Baayen haathh ki Pusht Se Muh ko chhipana.
Namaz Ke Mufsadaat
1 Salaam karna Jaan poochh kar ho ya Bhool kar.
2 Baat Cheet Karna jaan poochh kar ho ya Bhool kar.
3 kisi bhi baat ka jawab dena jaan poochh kar ya bhoole se.
4 Takleef ki Wajah se Aaah Ya uff Karna.
5 kisi buri khabar per Inna Lillaah ya Achchhi khabar per Alhamdulillah ya Ajeeb o Ghareeb khabar per Sub haanallah kehna.
6 Dard ya museebat ki wajah se Awaz se Rona.
7 Apne imaam ke siwa kisi dusre ko luqma dena.
8 Imaam se Aage Badh Jana yaani kisi Rukn (Step) ko Imam se pehle adaa karna.
9 Qiraat me Quran Shareef Dekh kr padhna.
10 Quran Shareef padhne me koi Sakht Ghalti karna.
11 Naapaak Jagah per jagah per sajdah karna.
12 khana peena jaan poochh kar ya bhool kar.
13 Seene ko Bina kisi Wajah ke Qible ki Taraf se pher lena.
14 ek Rukn ke Barabar Satar (Badan) ka Khul jana.
15 Namaz ki Haalat me 2 Saf Aage ya 2 Saf peechhe Chalna.
16 Baaligh Aadmi ka Namaz me Qehqahaa laga kar Hansna.
17 Amle kaseer yaani koi esa amal karna jisse Dekhne wale ye Samjhen ke ye Shakhs Namaz me Nahi he.
18 Namaz padhte waqt Dua me koi esy cheez maangna jo kisi Aadmi se Maangi jati he jese Ya Allah mujhe Seb Khila de Ya Allah Mujhe 100 rupe De De ya Ya Allah Mery Fulaan Ourat se Shadi karade Ect..
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Mashallah